कीकर्बा चौथा ब्रत कथा: काफी समय पहले एक साहूकार के सात बैठे थे l और उनकी एक्लोति बहन थी उसका नाम करवा था सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थेl यहाँ तक की जब तक अपने हाथ से उसको खाना नही खिला देते थे तब तक सातों भाई मे से कोई भी खाना नही खाता था lएक दिन जब करवा चौथ का व्रत आया l तो करवा अपने ससुराल से अपने मायके आई हुई थी l फिर सभी भाई अपनी बहन को खाने के लिए कहने लगेl लेकिन करवा ने उनको बताया की आज का उसका करवा चौथ का निर्जला व्रत है l और वह खाना चंद्र माँ को अर्ग दे कर ही खायेगी lऔर अपनी बहन को बुका देख सातों मे से सबसे छोटे भाई ने नजदीक की पहाड़ी पर जा कर एक दीपक जला कर उसको एक छलनी की ओट मे रख दिया lऔर बापस आ कर अपनी बहन को बताया चाँद निकल आया है l अब तुम उसको अर्ग दे कर खाना खा लो lयह सुन कर करवा अपनी भाभियो के पास गयी और कहा चलो भाभी अर्ग देके खाना खाते हैं चाँद निकल आया है l लेकिन सभी भाभियो को ये बात पता थी भाभियो ने कहा करवा अभी आपका चाँद निकला हैं l आप अर्ग दे कर खाना खा लो हमारा चाँद निकलने मे अभी समय हैं l करवा उनकी इस बात को नही समझ पाई और चाँद को अर्ग दे कर खाना खाने बैठ गई l जेसे ही उसने पहला निबाला तोड़ा तो उसको छीक आ गई l दूसरा निबाला तोडा तो उसमे बाल निकल आयाl तीसरा निबाला तोड़ते ही उसके ससुराल से खबर आ गईl जैसी भी हालत मे हो तुरंत अपने ससुराल पहुँच जाए l उसकी माँ ने कहा रास्ते मे जो भी मिले उसके पेर छु कर ही जाना और जो भी सदा सुहागन का असिरबाद दे वही अपने सारी मे घांट भान्द लेना l ये सुन कर करवा अपने ससुराल के लिये निकल गई l रास्ते मे सभी का अशिरबाद ले कर बह चलती रही लेकिन किसी ने भी उसको सदा सुहागन का अशिरबाद nhi दिया l लेकिन घर पहुँच कर उसको अपनी नानंद से सदा सुहागन का अशिरबाद मिला ओर उसने अपनी सारी मे गाँठ भान्द ली l लेकिन जैसे ही वह अंदर घर मे गई तो उसने अपने पती का सब रखा हुआ देख कर पूट पुट कर रोने लगी और उसको ले जाने की तयारी की जा रही थी l वाहा के लोग करवा को बुरा भला बोल रहे थे अपने पती को खा गईl लेकिन करवा ने अपने पती का सब नही जलाने दीया l और हर महीने कि चौथ का व्रत रखती थी l 12 महीने के बाद करवा चौथ फिर से आई और उसने चौथ माता से अपने पती को जीबीत करने का बर्दान मंगा और कहा मुझे बहुत बड़ा पाप हो गया l मुझे मेरे पती का जीबन बापस लौटा दो इसके बदले मे माता ने सारा सिंगार मंगा और उसके पती को जीवन दान दे दिया और धन भान का अशिरबाद भी दिया l